আমাদের godশ্বর আমাদের ভিতরে আছেন আমরা কেবল তাঁকে চিনি know
दुनिया में ऐसे कई सवाल है जिसका हमें ठीक से उत्तर नहीं पता होता. यदि आप वैगनानिक को पूछे तो वे बे डंग रह जाते है.
परमात्मा हम से कुछ इस तरह जुड़े हुए हैं कि कभी अलग नहीं हो सकते। अलग थे ही नहीं। क्योंकि हम और परमात्मा अलग अस्तित्व नहीं है। तात्विक रूप से, मूल वास्तविकता में हम एक ही है। दूसरा कोई है ही नहीं अतः खो जाने की कोई बात ही नहीं है।.
ईश्वर दर्शन हमारे शरीर के ही अंदर आत्म रूप में हो सकता है या शरीर के बाहर ईश्वर का दर्शन होता है। फिर अपने अंदर और सभी जगह भी ईश्वर के दर्शन होते हैं। स्थूल रूप में उनके दर्शन हो सकते हैं और निराकार/निर्गुण साक्षात्कार भी हो सकता है।.