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लघु कोश ज्योतिष शास्त्र के जिज्ञासुओं के लिए एक पथप्रदर्शक का कार्य
लघु कोश ज्योतिष शास्त्र के जिज्ञासुओं के लिए एक पथप्रदर्शक का कार्य करेगा व्यवहार में आने पारिभाषिकों का यह सङ्कलन ज्योतिष शास्त्र के छात्रों बहुत पसन्द आया इसलिए इसका अतिशीघ्र ही कराना पड़ा कार्य ज्योतिष शास्त्र में इस विधा के ग्रन्थ प्रणयन का श्रीगणेश मात्र है
पुनर्मुद्रण के बजाय इसका द्वितीय प्रकाश में लाया जा जा था लेकिन सारा प्रयास बृहत्कोश में लगा है यह बृहत्कोश पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा रहा है ज्योतिष शास्त्र के सभी स्कन्धों के पारिभाषिकों के शब्दार्थ एवं आवश्यकतानुसार लघु निबन्ध भी होंगे एक और विशेषता होगी कि इसमें सम्प्रति उपलब्ध ग्रन्थ और ग्रन्थकारों का परिचय भी रहेगा
शास्त्र का स्वरूप इतना विशाल है कि इनके परिधि का परिगणन यदि असंभव नहीं तो कठिन अवश्य कि हम जानते हैं कि प्राचीनकाल से विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अध्ययन दो विषयों में अन्तर्भूत रहा -आयुर्वेद और ज्योतिष। सम्बन्धी कार्य आयुर्वेद का विषय रहा और शेष सभी प्रकार के तकनीकि कार्य ज्योतिष शास्त्र का विषय इतने गुरुतर दायित्व का निर्वहन करने वाले शास्त्र समय समय पर देश ، काल और पात्र का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है इस शास्त्र में नये-नये पारिभाषिक शब्दों का सनिवेष होता गया।
अध्येताओं की पात्रताओं में भी अन्तर आता गया। अध्येताओं की संख्या वृद्धि तो हुई लेकिन अध्येताओं के बहु आयामी के कारण समयाभाव के फलस्वरूप उनकी गुणवत्ता हास होता की के कारण विभिन्न वर्गों के ऐसे अध्येता भी इस क्षेत्र में हुए जिन्हें इस शास्त्र का पारम्परिक ज्ञान नहीं शास्त्र का सम्बन्ध समाज के शिक्षित ، अशिक्षित ، धनी या गरीब सभी वर्गों के लोगों से रहा है इसका अध्ययन-अध्यापन संस्कृत भाषा तक सीमित न रहकर अन्य भाषाओं में भी होने लगा रूप से माध्यम से इस शास्त्र का अध्ययन करने वाले जिज्ञासुओं लिए पृथक्तया इस शास्त्र के की आवश्यकता प्रतीत होती किन्तु अन्य और भाषाओं के पाठकों की आवश्यकता बार-बार पर आती रही और इस के के कोश के की इच्छा उत्पन्न रही की के निर्माण इच्छा उत्पन्न कार्य
अपने किए शब्द चयन अधूरी-अधूरी को को कर फिर से कोश एक सीमा तक पहुँचाया और स्वतन्त्र रूप पद्मजा प्रकाशन इसे स्वतन्त्र रूप पद्मजा प्रकाशन रूप में इसे प्रकाशित करना चाहता था वह नहीं हो पाया है। यह कार्य तो अनवरत चलनेवाला है। इसे छात्रों के लिए उपयोगी मानकर प्रकाशित कर रहा हूँ। के लिए तो ज्योतिषशास्त्र बृहत्कोश का कार्य अभी आरम्भ किया है है देवता ، ऋषि ، पितर ، ब्राह्मणों और विद्वानों आशीर्वाद से से बृहत्कोश पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए मैं प्रयत्नशील हूँ
-विनयावनत
झा
Last updated on 02/05/2021
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گزارش
JyotiPunj | Sanskrit
1.3 by Srujan Jha
02/05/2021