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बहुत बढ़िया भजन
1 (दीन की प्रार्थना, जब वह व्याकुल हो, और अपना दु:ख यहोवा के साम्हने उण्डेल दे।) हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, और मेरी दोहाई तुझ तक पहुंचे।
2 जब मैं विपत्ति में पड़ूं, तब अपना मुंह मुझ से न फिरना; अपना कान मेरी ओर झुका; जिस दिन मैं पुकारूं, उस समय फुर्ती से मुझे उत्तर दे।
3 क्योंकि मेरे दिन धुएँ के समान भस्म हो गए हैं, और मेरी हड्डियाँ आग की नाईं जल गई हैं।
4 मेरा मन टूट गया, और घास की नाईं मुर्झा गया है; कि मैं अपनी रोटी खाना भूल जाऊं।
5 मेरे कराहने के शब्द के कारण मेरी हडि्डयां मेरी चमड़ी से लग गई हैं।
6 मैं जंगल के धनेश के समान हूं, मैं जंगल के उल्लू के समान हूं।
7 मैं देखता हूं, और घर की छत पर अकेली गौरैया के समान हूं।
8 मेरे शत्रु दिन भर मेरी निन्दा करते हैं; और जो मुझ पर बावले हैं, वे मेरी शपय खाते हैं।
9 क्योंकि मैं ने रोटी की नाईं राख खाई, और अपना जल रोहू मिलाकर पिलाया है,
10 यह तेरे क्रोध और जलजलाहट के कारण हुआ है, क्योंकि तू ने मुझे उठाकर नीचे गिरा दिया है।
11 मेरे दिन ढलती हुई छाया के समान हैं; और मैं घास की नाईं सूख गया हूं।
12 परन्तु हे यहोवा, तू सदा बना रहेगा; और तेरा स्मरण पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।
13 तू उठेगा, और सिय्योन पर दया करेगा; क्योंकि उस पर अनुग्रह करने का समय, वरन वह समय आ पहुंचा है।
14 क्योंकि तेरे दास उसके पत्यरोंसे प्रसन्न होते हैं, और उसकी धूलि पर अनुग्रह करते हैं।
15 तब जाति जाति के लोग यहोवा के नाम से, और पृय्वी के सब राजा तेरे प्रताप से डरेंगे।
16 जब यहोवा सिय्योन को बसाएगा, तब वह अपने तेज के साथ दिखाई देगा।
17 वह दीन लोगों की प्रार्थना पर ध्यान देगा, और उनकी प्रार्थना को तुच्छ न जानेगा।
18 यह आने वाली पीढ़ी के लिये लिखा जाएगा, और जो लोग सिरजे जाएंगे वे यहोवा की स्तुति करेंगे।
19 क्योंकि उस ने अपके पवित्रस्यान के ऊंचे स्थान पर से दृष्टि की है; यहोवा ने स्वर्ग से पृथ्वी को देखा;
20 बन्धुए का कराहना सुनना; जो मृत्यु के नियुक्त हैं उनको छुड़ाना;
21 कि सिय्योन में यहोवा के नाम का प्रचार करूं, और यरूशलेम में उसकी स्तुति करूं;
22 जब प्रजा और राज्य राज्य यहोवा की उपासना करने को इकट्ठे हों।
23 उस ने मेरे बल को मार्ग में निर्बल कर दिया; उसने मेरे दिन घटाए।
24 मैं ने कहा, हे मेरे परमेश्वर, मुझे आधी आयु में न उठा ले; तेरे वर्ष पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहते हैं।
25 प्राचीनकाल में तू ने पृय्वी की नेव डाली, और आकाश तेरे हाथ की बनाई हुई है।
26 वे तो नाश होंगे, परन्तु तू बना रहेगा; वरन वे सब के सब कपड़े के समान पुराने हो जाएंगे; तू उनको वस्त्र की नाईं बदलेगा, और वे बदल जाएंगे;
27 परन्तु तू वही है, और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।
28 तेरे दासोंकी सन्तान बनी रहेगी, और उनका वंश तेरे साम्हने स्यिर रहेगा।
Last updated on Jun 6, 2024
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द्वारा डाली गई
Giorgi Neparidze
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Psalm 102
1.10 by Apps Croy
Jun 6, 2024