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Salmo 31 के बारे में

महान स्तोत्र

1 हे यहोवा, मैं तेरा शरणागत हूं; मुझे कभी अपमानित न होने दें; अपने धर्म के द्वारा मेरा उद्धार कर।

2अपना कान मेरी ओर लगाकर आ, और फुर्ती से मुझे छुड़ा ले! मेरी शरण की चट्टान बनो, मुझे बचाने के लिए एक शक्तिशाली किला बनो।

3 हाँ, तू मेरी चट्टान और मेरा गढ़ है; अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई कर, और मेरी अगुवाई कर।

4 उस फन्दे में से जो उन्होंने मेरे लिथे लगाया है मुझ को निकाल ले, क्योंकि तू मेरा शरणस्थान है।

5 मैं अपक्की आत्मा तेरे हाथ में सौंपता हूं; मुझे बचाओ, भगवान, सत्य के भगवान।

6 जो निकम्मी मूरतोंसे लिपटे रहते हैं, उन से मैं घृणा करता हूं; हालाँकि, मुझे प्रभु पर भरोसा है।

7 मैं तेरे प्रेम के कारण अति आनन्दित हूं, क्योंकि तू ने मेरे दु:ख पर दृष्टि की है, और मेरे प्राण की पीड़ा को जान लिया है।

8 तू ने मुझे मेरे शत्रुओं के हाथ में नहीं सौंपा; आपने मुझे सुरक्षा और स्वतंत्रता दी।

9 दया, यहोवा! मैं निराशा में हूँ! उदासी मेरी दृष्टि, शक्ति और भूख को खा जाती है।

10 मेरा जीवन दु:ख के मारे, और मेरी आयु कराहते कराहते घटती है; मेरे दु:ख से मेरा बल घट गया है, और मेरी हडि्डयां निर्बल हो गई हैं।

11 अपके सब द्रोहियोंके कारण अपके पड़ोसियोंमें मेरी नामधराई होती है, और अपके मित्रोंके लिथे भय का कारण हूं; जो मुझे सड़क पर देखते हैं वे मुझ से दूर भागते हैं।

12 वे मुझे मुर्दा सा भूल गए हैं; मैं टूटे बर्तन की तरह हो गया।

13 मैं ने अपने विषय में बहुत सी फुसफुसाहटें सुनी हैं; डर मुझ पर हावी है, क्योंकि वे मेरे खिलाफ साज़िश करते हैं, मेरे प्राण लेने की साज़िश करते हैं।

14 परन्तु हे यहोवा, मैं ने तुझ पर भरोसा रखा है, और मैं कहता हूं, तू मेरा परमेश्वर है।

15 मेरा भविष्य तेरे हाथ में है; मुझे मेरे शत्रुओं से और मेरे सताने वालों से छुड़ा।

16 अपके दास पर अपके मुख का प्रकाश चमका; अपने अटल प्रेम से मुझे बचा ले।

17 हे यहोवा, मुझे लज्जित न होने दे, क्योंकि मैं ने तेरी दोहाई दी है; परन्तु दुष्ट नीचा किया जाए, और अधोलोक में चुपचाप रहे।

18 उनके झूठ बोलनेवाले मुंह बन्द किए जाएं, क्योंकि वे घमण्ड और अपमान से धर्मियोंको नीचा करते हैं।

19 तेरी भलाई क्या ही बड़ी है, जो तू ने अपके डरवैयोंके लिथे रख छोड़ी है, और अपके शरणागतोंको मनुष्योंके साम्हने उन पर जताती है!

20 तू अपके अपके शरण में उनको मनुष्योंके षड्यन्त्रोंसे छिपा रखता है; तू अपके वासस्थान में उन्हें दोष लगानेवाली जीभोंसे बचाता है।

21 यहोवा धन्य है, क्योंकि जब मैं गढ़वाले नगर में था, तब उस ने मुझ पर अपनी अद्भुत करूणा प्रगट की।

22 घबराकर मैं ने कहा, मुझे तेरे साम्हने से बाहर रखा गया है! तौभी जब मैं ने तेरी दोहाई दी, तब तू ने मेरी गिड़गिड़ाहट सुनी।

23 हे यहोवा के सब भक्तों, उस से प्रेम रखो! यहोवा भक्तों की रक्षा करता है, परन्तु अभिमानी जिस के योग्य होते हैं, उसे वह देते हैं।

24 हे यहोवा पर आशा रखनेवालो, हियाव बान्धो और हियाव बान्धो!

नवीनतम संस्करण 1.13 में नया क्या है

Last updated on Apr 20, 2024

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निवेदन Salmo 31 अपडेट 1.13

द्वारा डाली गई

ნოდიკო უტიაშვილი

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