We use cookies and other technologies on this website to enhance your user experience.
By clicking any link on this page you are giving your consent to our Privacy Policy and Cookies Policy.
यथार्थ गीता (बंगला) - श्रीमद्भ आइकन

1.0.2 by Shri Paramhans Swami Adgadanandji Ashram Trust


Feb 8, 2019

यथार्थ गीता (बंगला) - श्रीमद्भ के बारे में

स्वामी अड़गड़ानन्द कृत सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता का १८ अध्याय (बंगला MP3 - Audio)

५२०० वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद श्रीमद्भगवद्गीता की शाश्वत व्याख्या

मानव धर्मशास्त्र

श्रीकृष्ण जिस स्तर की बात करते हैं, क्रमश: चलकर उसी स्तर पर खड़ा होनेवाला कोई महापुरुष ही अक्षरश: बता सकेगा कि श्रीकृष्ण ने जिस समय गीता का उपदेश दिया था, उस समय उनके मनोगत भाव क्या थे? मनोगत समस्त भाव कहने में नहीं आते। कुछ तो कहने में आ पाते हैं, कुछ भाव-भंगिमा से व्यक्त होते हैं और शेष पर्याप्त क्रियात्मक हैं– जिन्हें कोई पथिक चलकर ही जान सकता है। जिस स्तर पर श्रीकृष्ण थे, क्रमश: चलकर उसी अवस्था को प्राप्त महापुरुष ही जानता है कि गीता क्या कहती है। वह गीता की पंक्तियाँ ही नहीं दुहराता, बल्कि उनके भावों को भी दर्शा देता है; क्योंकि जो दृश्य श्रीकृष्ण के सामने था, वही उस वर्तमान महापुरुष के समक्ष भी है। इसलिये वह देखता है, दिखा देगा; आपमें जागृत भी कर देगा, उस पथ पर चला भी देगा।

‘पूज्य श्री परमहंस जी महाराज’ भी उसी स्तर के महापुरुष थे। उनकी वाणी तथा अन्त:प्रेरणा से मुझे गीता का जो अर्थ मिला, उसी का संकलन ’यथार्थ गीता’ है। - स्वामी अड़गड़ानन्द

लेखक के प्रति:

“यथार्थ गीता” के लेखक एक संत है जो शैक्षिक उपाधियों से सम्बद्ध न होने पर भी सद्गुरू कृपा के फलस्वरूप ईश्वरीय आदेशों से संचालित है | लेखन को आप साधना भजन में व्यवधान मानते रहे है किन्तु गीता के इस भाष्य में निर्देशन ही निमित बना | भगवान ने आपको अनुभव में बताया कि आपकी सारी वृतियाँ शान्त हो गयी है केवल छोटी – सी एक वृति शेष है – गीता लिखना | पहले तो स्वामीजी ने इस वृति को भजन से काटने का प्रयतन किया किन्तु भगवान के आदेश को मूर्त स्वरुप है, यथार्थ गीता | भाष्य मैं जहाँ भी त्रुटि होती भगवान सुधार देते थे | स्वामीजी की स्वान्तः सुखाय यह कृति सर्वान्तः सुखाय बने, इसी शुभकामना के साथ |

श्री हरी की वाणी वीतराग परमहंसो का आधार आदि शास्त्र गीता – संत मत – १०-२-२००७ – तृतीय विश्व हिन्दू परिषद् - विश्व हिन्दू सम्मेलन दिनाक १०-११-१२-१३ फरवरी २००७ के अवसर पर अर्ध कुम्ब २००७ प्रयाग भारत में प्रवासी एवं अप्रवासी भारतीयों के विश्व सम्मेलन के उद्गाटन के अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद् ने ग्यारहवी धर्म संसद में पारित गीता हमारा धर्म शास्त्र है प्रस्ताव के परिप्रेक्ष्य में गीता को सदेव से विधमान भारत का गुरु ग्रन्थ कहते हुए यथार्थ गीता को इसका शाश्वत भाष्य उद्घोषित किया तथा इसके अंतर्राष्ट्रीय मानव धर्म शास्त्र की उपयोगिता रखने वाला शास्त्र कहा |

श्री काशीविद्व्त्परिषद – भारत के सर्वोच्च श्री काशी विद्व्त्परिषद ने १-३-२००४ को “श्रीमद भगवद्गीता” को अदि मनु स्मृति तथा वेदों को इसी का विस्तार मानते हुए विश्व मानव का धर्म शास्त्र और यथार्थ गीता को परिभाषा के रूप में स्वीकार किया और यह उद्घोषित किया की धर्म और धर्मशास्त्र अपरिवर्तनशील होने से आदिकाल से धर्मशास्त्र “श्रीमद भगवद्गीता” ही रही है |

विश्व धर्म संसद:

३-१-२००१ – विश्व धर्म संसद में विश्व मानव धर्मशास्त्र “श्रीमद भगवद्गीता” के भाष्य यथार्थ गीता पर परमपूज्य परमहंस स्वामी श्री अड़गड़ानन्द जी महाराज जी को प्रयाग के परमपावन पर्व महाकुम्भ के अवसर पर विश्वगुरु की उपाधि से विभूषित किया.

२-४-१९९७ – मानवमात्र का धर्मशास्त्र “श्रीमद भगवद्गीता” की विशुध्द व्याख्या यथार्थ गीता के लिए धर्मसंसद द्वारा हरिद्वार में महाकुम्ब के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में परमपूज्य स्वामी श्री अड़गड़ानन्द जी महाराज को भारत गौरव के सम्मान से विभूषित किया गया.

१-४-१९९८ – बीसवी शताब्दी के अंतिम महाकुम्भ के अवसर पर हरिद्वार के समस्त शक्रचार्यो महामंद्लेश्वारों ब्राह्मण महासभा और ४४ देशों के धर्मशील विद्वानों की उपस्थिति में विश्व धर्म संसद द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में पूज्य स्वामी जी को “श्रीमद भगवद्गीता” धर्मशास्त्र (भाष्य यथार्थ गीता) के द्वारा विश्व के विकास में अद्वितीय योगदान हेतु “विश्वगौरव” सम्मान प्रदान किया गया | - २६-०१-२००१

माननीय उच्च न्यायालय – इलाहाबाद का एतहासिक निर्णय

माननीय उच्चन्यायालय इलाहाबाद ने रिट याचिका संख्या ५६४४७ सन २००३ श्यामल रंजन मुख़र्जी वनाम निर्मल रंजन मुख़र्जी एवं अन्य के प्रकरण में अपने निर्णय दिनांक ३० अगस्त २००७ को “श्रीमद भगवद्गीता” को समस्त विश्व का धर्मशास्त्र मानते हुए राष्ट्रीय धर्म्शात्र की मान्यता देने की संस्तुति की है | अपने निर्णय के प्रस्तर ११५ से १२३ में माननीय न्यायालय में विभिन गीता भाष्यों पर विचार करते हुए धर्म, कर्म, यज्ञ, योग आदि को परिभाषा के आधार पर इसे जाति पाति मजहब संप्रदाय देश व काल से परे मानवमात्र का धर्मशास्त्र माना जिसके माध्यम से लौकिक व परलौकिक दोनों समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है |

नवीनतम संस्करण 1.0.2 में नया क्या है

Last updated on Feb 8, 2019

Bug fix related to player

अनुवाद लोड हो रहा है...

अतिरिक्त ऐप जानकारी

नवीनतम संस्करण

निवेदन यथार्थ गीता (बंगला) - श्रीमद्भ अपडेट 1.0.2

द्वारा डाली गई

حيدر جابر

Android ज़रूरी है

Android 4.1+

अधिक दिखाएं

यथार्थ गीता (बंगला) - श्रीमद्भ स्क्रीनशॉट

भाषाओं
APKPure की सदस्यता लें
सर्वश्रेष्ठ एंड्रॉइड गेम और ऐप्स के शुरुआती रिलीज, समाचार और गाइड तक पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बनें।
जी नहीं, धन्यवाद
साइन अप करें
सफलतापूर्वक सब्सक्राइब!
अब आप APKPure की सदस्यता ले रहे हैं।
APKPure की सदस्यता लें
सर्वश्रेष्ठ एंड्रॉइड गेम और ऐप्स के शुरुआती रिलीज, समाचार और गाइड तक पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बनें।
जी नहीं, धन्यवाद
साइन अप करें
सफलता!
अब आप हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता ले चुके हैं।